वैदिक कहानियां - हमारी धरोहर में आज हम कहानी बतायेगें भगवान श्रीकृष्ण और कालिया नाग की कहानी , एक जहरीला नाग जिसके विष के प्रभाव से यमुनाजी का जल काला पड गया था , क्या है भगवान श्रीकृष्ण और कालिया नाग की कथा ?
जानिये इस इस कहानी के माध्यम से -
कालिया नाग का प्रकोप
यमुना नदी से जुड़ा हुआ एक मीठे पानी का सुंदर झील था। कहीं से एक बहुत ही जहरीला नाग वहां आकर रहने लगा जिसका नाम था कालिया। कालिया नाग के कारण जहर यमुना नदी के पानी में बहुत तेजी से घुल रहा था। जिसके प्रभाव से नदी का जल जहरीला हो गया था । जो कोई भी यमुना जी का जल ग्रहण करता, वह सर्प के विष के प्रभाव से परलोक सिधार जाता था , उसके भय से नर ,नारी ,पशु ,पक्षी सभी भयभीत रहते थे ।
एक बार एक गाय चराने वाले ग्वाले ने जब उस झील का पानी पिया तो उसकी मृत्यु हो गई। जब भगवान श्रीकृष्ण को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी शक्ति से उस व्यक्ति को जीवित कर दिया।
प्रभु कृष्ण के द्वारा कालिया नाग को ललकारना
उसके बाद भगवान श्री कृष्ण उस झील के पानी में कूद गए। श्री कृष्ण पानी के बहुत अंदर गए और उस सांप को जोर-जोर से पुकारने लगे। जब बहुत देर तक कृष्ण पानी से नहीं निकले तो गांव के लोग इकट्ठा होकर नदी किनारे उनका इंतजार करने लगे। बहुत सारे लोग डरने भी लगे। कुछ देर बाद पानी के अंदर से कालिया नाग भगवान श्रीकृष्ण के सामने आया और आते ही उसने प्रभु कृष्ण पर आक्रमण कर दिया।
प्रभु श्री कृष्ण द्वारा कालिया नाग का दमन
कुछ ही देर में कृष्ण ने कालिया नाग को जकड़ लिया और उसके सर पर चढ़ गए। कालिया हजार सिर वाला नाग था। भगवान श्री कृष्ण उसके शीश पर तेजी से नाचने लगे और तेजी से नाचने के कारण कालिया नाग के मुंह से खून निकलने लगा।
प्रभु श्रीकृष्ण द्वारा कालिया नाग का दमन |
यह देखकर कालिया नाग की पत्नी पानी से ऊपर आई और उसने कालिया नाग के जीवन की भीख मांगी। प्रभु श्रीकृष्ण ने उसकी याचना को स्वीकार कर कालियाँ नाग के प्राण बक्श दिये ।
श्रीकृष्ण का कालियाँ नाग को वरदान
भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें यमुना नदी कि इस झील को छोड़ने के लिए कहा और रामानका द्वीप चले जाने को कहा। साथ ही कृष्ण ने कालिया को आश्वासन दिया कि अब उन पर गरुड़ कभी भी आक्रमण नहीं करेगा, क्योंकि कालिया के सिर पर कृष्ण के पैरों के निशान पढ़ चुके हैं। मेरे चरणो की यही छाप तुम्हे गरुड जी से सुरक्षित रखेगी ।