वैदिक कहानियां - हमारी धरोहर में आज हम बतायेगे माँ काली की कहानी ।
हिन्दू धर्म में कैसे हुआ माँ काली का जन्म ? जगत्जगनी ने कैसे दिया देवताओ को त्राण ?
जानते है क्या है माता काली के जन्म की कथा ? जानते है इसे इस कहानी के माध्यम से -
राक्षस का बढ़ता अत्याचार
एक समय कि बात है की, जब एक शक्तिशाली राक्षस, दारुण का अत्याचार तीनों लोकों में बढ़ गया था। तीनों लोकों में सभी प्राणी इससे बहुत परेशान थे। सारे देवता दारुण के हाथों मात खा चुके थे। समस्त देवताओ के पराजित हो जाने से इन्द्र देव का मनोबल टूट रहा था ।
दारुण का वरदान और देवताओ की असफलता
क्योकि दारुण को वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों ही हो सकती है। इस कारण सभी देवता हाथ जोड़कर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे कि वे इसका कोई समाधान निकालें। इसके बाद ब्रह्मा जी ने एक स्त्री का रूप लिया और दारुण से युद्ध करने चले गए, लेकिन वो भी इस असुर को हरा नहीं पाए।
प्रभु शिव को प्रार्थना
अंत में सभी देवता, ब्रह्मा जी के साथ भगवान शिव के पास गए और उनसे प्रार्थना की कि वे कुछ करें। सभी की प्रार्थना सुनने के बाद, शिव जी ने मुस्कुराते हुए माता पार्वती की तरफ देखा।
माँ काली का प्रादुर्भाव
उनका इशारा समझते हुए माता पार्वती ने अपनी शक्ति का एक अंश निकाला। वह एक चमकता हुआ तेज था, जो देखते ही देखते भगवान शिव के नीलकंठ से होते हुए उनके शरीर में प्रवेश कर गया। इसके बाद भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली और तीनों लोक थर-थर कांपने लगे। भगवान शिव की तीसरी आंख खुलने के बाद वह शक्ति उनकी उस आंख से बाहर निकली, जिसे देखकर वहां खड़े सारे देवता घबरा गए।
जगत जननी माँ काली |
काली रूप में राक्षसो का संहार
इसके बाद उन्होंने कुछ ही देर में असुर दारुण और उसकी सेना का नाश कर दिया। उन सभी दानवों को खत्म करने के बाद भी मां काली का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था। इसके बाद उनका गुस्सा शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक बच्चे का रूप लिया, यह बच्चा कोई और नही प्रभु शिव के प्रथम अवतार भैरव ही थे । प्रभु भैरव बालक रूप में उनके समक्ष आ गए।
माँ काली का क्रोध शांत
बालक रूप में भगवान शिव को देखते ही मां काली की ममतामयी करुणा जाग उठी और माँ काली का क्रोध शांत हो गया और उन्होंने उस बच्चे भैरव को अपनी गोद में उठा लिया।