वैदिक कहानियां - हमारी धरोहर में आज हम बतायेगें विश्वामित्र और मेनका की कहानी , महान क्षत्रिय राजा विश्वामित्र जी जो धर्म से प्रभावित होकर मुनि बने और अपने अलग स्वर्ग बनाने के लिए तपस्या मे लीन हो गये , परन्तु क्या इन्द्र महामुनी विश्वामित्र की तपस्या पूर्ण होने देगे ? जानिये क्यों इन्द्रदेव ने अप्सरा मेनिका को ऋषी विश्वामित्र के पास भेजा ? क्या है इसका कारण ?, क्या है , विश्वामित्र जी और मेनका की कथा ? जानिये इस कहानी के माध्यम से -
महर्षि विश्वामित्र की तपस्या
एक बार की बात है महर्षि विश्वामित्र वन में कठोर तपस्या में लीन थे, और बाहरी दुनियां का उन्हें कुछ भी आभास भी नहीं था । उनकी तपस्या चरम सीमा पर थी। इतनी कठोर तपस्या देखकर देवराज इन्द्र को भय लगने लगा की कही विश्वामित्र जी उनके सिंहासन को प्राप्त न कर लें।
इन्द्र द्वारा मेनका को भेजना
जिसके परिणामस्वरूप देवराज इंद्र ने मेनका नामक अप्सरा को धरती पर जाकर महर्षि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने का आदेश दिया।
महर्षि विश्वामित्र ने काम को पूरी तरह वश में कर लिया था, इसलिए मेनका के सौंदर्य का उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
अप्सरा मेनका द्वारा महर्षि विश्वामित्र जी की तपस्या भंग करना |
किन्तु कामदेव की मदद से मेनका ने विश्वामित्र जी की तपस्या भंग कर दी और इन्द्र की योजना सफल हो गईं, लेकिन बाद में दोंनो के ह्रदय में प्रेम के अंकुर फूटने लगे। इसके पश्चात दोंनो विवाह बंधन में बंध कर गृहस्थ आश्रम में रहने लगे।
देवी शकुंतला का जन्म
अप्सरा मेनका ने सोचा कि अगर मै अब यहाँ से जाती हुँ तो महर्षि विश्वामित्र जी फिर से तपस्या करने लगेंगे, इस कारण से मेनका महर्षि के साथ गृहस्थ जीवन व्यतीत करने लगी और कुछ समय बाद मेनका ने एक सुन्दर पुत्री को जन्म दिया, जिसका नाम शकुंतला रखा गया ।
मेनका का देवलोक गमन
महर्षि, मेनका व शंकुतला तीनों ख़ुशी-ख़ुशी जीवन व्यतीत कर रहें थे । एक दिन देवराज इन्द्र मेनका के सामने प्रकट हुये और उन्हें फिर से मेनका को देवलोक में वापस आने का आदेश दिया। देवराज का आदेश मानकर ना चाहते हुये भी मेनका महर्षि विश्वामित्र तथा पुत्री शकुंतला को छोड़कर देवलोक चली गयी।
हिन्दू धर्म में यह घटना होनी अत्यंत आवश्यक थी,आगे चलकर यही शंकुलता चक्रवर्ती नरेश भरत की माता बनी और राजा दुष्यंत और शंकुलता के इसी परम प्रतापी पुत्र की वजह से इस महान भूमी का नाम ' भारत ' पडा ।
शंकुलता व भरत की कहानी किसी दिन अलग से विस्तार में लिखी जायेगी ।