अर्जुन और श्री कृष्ण के युद्ध की कहानी
एक दिन महर्षि गालब प्रातःकाल स्नान कर भगवान् सूर्य को जल अर्पण कर रहे थे. पर तभी आकाशमार्ग से जाते हुए गंधर्व चित्ररथ की थूंकी हुयी पिक महर्षि गालब के हाथ में आकर गिर गयी थी. जिस से महर्षि गालब को बड़ा क्रोध आ गया. क्रोध में महर्षि चित्ररथ को श्राप देना ही चाहते थे तभी उन्हें अपने तपोबल के नाश होने का ध्यान आगया और वे रुक गए ।
क्रोधित महर्षि भगवान् श्रीकृष्ण के पास चले गए थे, उन्होंने सारी बात बताकर भगवन श्रीकृष्ण से गंधर्व चित्ररथ को मृत्युदंड देने की विनती की थी. भगवान् कृष्ण ने भी महर्षि गालब को प्रसन्न करने हेतु यह प्रतिज्ञा कर ली की वो कल सूर्यास्त तक चित्ररथ का वध कर देंगे ।
जब इस सारे प्रकरण के बारे में जब देवर्षि नारद को पता चला था तो वो तुरंत चित्ररथ के पास पुहचे और उससे कहा “तुम्हारा अंतिम समय निकट आ गया हे, कल सूर्यास्त तक भगवान् कृष्ण तुम्हे मार देंगे”. चित्ररथ इस बातसे घबराया और उसने महर्षि नारद के पैर पकड़ लिए. वो बोला “मुनिवर कृपया कुछ भी करकर मुझे बचाए” तो देवर्षि नारद ने उससे कहा,”अगर तुम आज आधी रात यमुना नदी में स्नान करने आनेवाली श्री से तुम अपने जीवन का वरदान लेने में सफल हो जाओ तो तुम बच सकते हो” उसके बाद देवर्षि नारद अर्जुन की पत्नी सुभद्रा के पास गए और उससे कहा “की आज एक विशेष पर्व हे अगर तुम आज आधी रात यमुना में स्नान करो और किसी दिन की जीवन रक्षा करने से तुम्हे अक्षय पूण्य मिलेगा”
देवर्षि नारद की बात सुनकर सुभद्रा अपनी सहेलियों के साथ आधी रात यमुना स्नान करने पुहच गयी थी, उन्हें देखते ही चित्ररथ जोर जोर से रोने लगा. उसे देखते ही सुभद्रा को नारद की बात याद आई और उसने सोचा की क्यों न इस दिन की रक्षा कर अक्षय पुण्य की प्राप्ति की जाए. और सुभद्रा चित्ररथ के सामने आई और उसने चित्ररथ के जीवन की रक्षा करने का वचन भी दे दिया जब चित्ररथ ने बताया की उनके ही भाई भगवान् कृष्ण उनका वध करने वाले हे. सुभद्रा धर्मसंकट में पद गयी थी, और चित्ररथ को अर्जुन के पास लेकर गयी. अर्जुन ने सुभद्रा के वचन की लाज रखने के लिए चित्ररथ को आश्रय दे दिया.
अर्जुन और कृष्ण का युद्ध
जब भगवान कृष्ण को ये बात समझ आई तो वे बड़े ही क्रोधित होगए, और उन्होंने अर्जुन के ऊपर आक्रमण कर दि थी, तब यादवसेना और पांडवसेना के बिच बड़ा ही भयंकर युद्ध छिड़ गया था. परन्तु जब भगवान् श्रीकृष्ण ने देखा की सूर्यास्त होने वाला हे, तो उन्होंने चित्ररथ को मारने हेतु अपना सुदर्शन चक्र छोड़ दिया, यह देख अर्जुन ने उन्हें रोकने हेतु पशुपतास्र छोड़ दिया. सुदर्शन चक्र और पशुपतास्र के टकराव के कारन पृथ्वी पर प्रलय की स्थिति पैदा हो गई थी, तब भगवान् शिव को उन दोनों का युद्ध रुकवाना पड़ा था.
युद्ध रोककर भगवान् शिव ने भगवान कृष्ण को समझाते हुए कहा था, की भक्तो की बात के आगे भगवान् को अपनी प्रतिज्ञा भूल जानी चाहिए, भगवान् शिवजी की बात मानकर भगवान् कृष्ण ने चित्ररथ को माफ़ कर दिया, चित्ररथ ने भी बड़ी ही शालीनता से महर्षि गालब से क्षमा मांगकर उन्हें भी प्रसन्न कर लिया था ।